एमपी के इस गांव में क्यों नहीं जाते किन्नर..

Gyan Prakash Dubey

एमपी के इस गांव में किन्नरों का प्रवेश क्यों है वर्जित? जानें रहस्यमय कहानी

खरगोन, मध्य प्रदेश
भारत के समाज में किन्नर समुदाय की उपस्थिति हर शुभ अवसर पर देखने को मिलती है, चाहे वो किसी के घर बच्चे का जन्म हो, शादी-ब्याह हो या अन्य कोई धार्मिक आयोजन। लेकिन मध्य प्रदेश के खरगोन जिले का चोली गांव एक ऐसा स्थान है, जहां किन्नर समाज के लोग प्रवेश नहीं करते। इसके पीछे की वजह यहां स्थित प्राचीन काल भैरव मंदिर और उससे जुड़ी एक रहस्यमय कथा है।

देवो की नगरी चोली गांव

यह गांव खरगोन जिला मुख्यालय से लगभग 59 किमी दूर विंध्याचल पर्वत की तलहटी में स्थित है। इसे देवगढ़ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां कदम-कदम पर प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। खास बात यह है कि इनमें से कई मंदिर परमार काल के हैं, और कुछ तो उससे भी पुराने माने जाते हैं। इन मंदिरों में भगवान काल भैरव का मंदिर प्रमुख है, जो अपनी अद्भुत मान्यता और शक्तियों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है।

काल भैरव अष्टमी के दिन यहां भक्तों का भारी जमावड़ा होता है, जो बाबा के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। लेकिन किन्नर समुदाय इस गांव में कदम नहीं रखता।

किवदंती जो सबको चौंका देती है

गांव के 80 वर्षीय पुजारी नारायणदास धनोरिया और स्थानीय निवासी गौरव सिंह ठाकुर के अनुसार, वर्षों पहले एक किन्नर ने बाबा काल भैरव को चुनौती दी थी। उसने बाबा से कहा, “अगर तुम सच्चे और साक्षात ईश्वर हो, तो मेरी भी गोद भर दो।” किवदंती के अनुसार, बाबा के आशीर्वाद से वह किन्नर गर्भवती हो गया। इस घटना के बाद से किन्नर समाज ने इस गांव में आना पूरी तरह से बंद कर दिया।

किन्नरों की प्रतिक्रिया

किन्नर समाज की प्रमुख सोनाली दीदी बताती हैं कि इस घटना का कोई लिखित प्रमाण नहीं है, लेकिन यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। सोनाली के अनुसार, पहले चोली गांव में बाहरी लोगों का आना-जाना बहुत कम था और सभी रिश्ते गांव के भीतर ही होते थे। अब बाहरी गांवों के साथ रिश्ते बनने लगे हैं, लेकिन किन्नरों के प्रवेश पर अब भी सख्त पाबंदी है। ग्रामीणों का मानना है कि बाबा के आदेश का उल्लंघन करने से अनहोनी हो सकती है, जिससे किन्नर समाज के लोग इस गांव से दूरी बनाए रखते हैं।

कथा के पीछे का विश्वास

इस रहस्यमय परंपरा ने चोली गांव को चर्चा का विषय बना दिया है। यह केवल एक धार्मिक आस्था है या फिर सामाजिक संरचना, इसे लेकर भले ही अलग-अलग राय हो, लेकिन ग्रामीण आज भी बाबा काल भैरव की शक्ति और इस परंपरा पर अटूट विश्वास रखते हैं।

चोली गांव की यह कथा काल भैरव की महिमा और ग्रामीण आस्था का एक अनूठा उदाहरण है, जो भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को दर्शाती है।

  • Gyan Prakash Dubey

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