Gyan Prakash Dubey
महिला ने अपना दूध दान कर बनाया विश्व रिकॉर्ड
एलिस ओगलेट्री की कहानी भावनात्मक और प्रेरक है, जिसमें उन्होंने मातृत्व की भावना को समाज की सेवा में बदलने का कार्य किया है। टेक्सास, अमेरिका की रहने वाली 36 वर्षीय एलिस ने 2010 से लेकर अब तक अपने स्तन दूध का विशाल मात्रा में दान किया है, जो कि आज एक विश्व रिकॉर्ड बन चुका है।
रिकॉर्ड की शुरुआत
एलिस ने 2010 में अपने पहले बेटे के जन्म के बाद स्तन दूध का दान करना शुरू किया। उस वक्त उन्होंने देखा कि उनके शरीर में सामान्य माताओं की तुलना में अधिक दूध बन रहा था, जिससे उन्होंने अतिरिक्त दूध को फेंकना शुरू कर दिया। तब तक उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं था कि अतिरिक्त दूध को दान किया जा सकता है। अस्पताल में एक नर्स ने उन्हें दूध दान के बारे में जानकारी दी। यह जानकर एलिस ने सोचा कि उनका अतिरिक्त दूध किसी और के काम आ सकता है और इस तरह उन्होंने अपने पहले बेटे के जन्म के बाद ही इस महान कार्य को शुरू कर दिया।
विश्व रिकॉर्ड और आंकड़े
साल 2014 में एलिस ने पहली बार 1,569.79 लीटर दूध दान करके रिकॉर्ड कायम किया। इसके बाद उन्होंने दूध दान का कार्य जारी रखा और अब 10 साल बाद उन्होंने खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2,645.58 लीटर दूध का दान किया है, जो गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है। इस अभूतपूर्व योगदान के तहत, उन्होंने करीब 350,000 से अधिक नवजात शिशुओं की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी करने में सहायता की है।
मदर्स मिल्क बैंक के मुताबिक, एक लीटर स्तन दूध समय से पहले जन्मे लगभग 11 नवजातों को पोषण देने के लिए पर्याप्त होता है। इस प्रकार, एलिस द्वारा दान किया गया दूध हजारों नवजात शिशुओं के जीवन को पोषित करने और उनकी सेहत सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है।
मदर्स मिल्क बैंक और अन्य संस्थानों को सहायता
एलिस का दान नॉर्थ टेक्सास स्थित मदर्स मिल्क बैंक में दिया गया है, जो नवजात शिशुओं को विशेषत: उन बच्चों को पोषण देने के लिए कार्यरत है जो समय से पहले जन्म लेते हैं। इसके अलावा, उन्होंने टिनी ट्रेजर्स नामक संस्था को भी लगभग 37,000 औंस (लगभग 1,096 लीटर) दूध दान किया है, और अपने दोस्तों को भी सहायता प्रदान की है।
योगदान का उद्देश्य
एलिस का कहना है कि उनके पास आर्थिक स्थिति की वजह से बार-बार दान करने के लिए पैसे नहीं थे। उनके पास परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियाँ थीं, इसलिए उन्होंने अपने पास उपलब्ध संसाधन यानी अपने दूध को दान करने का निर्णय लिया। उनके अनुसार, यह अनुभव उन्हें अद्वितीय संतोष और गर्व का अनुभव कराता है।
उन्होंने यह भी कहा कि दूसरों की सहायता करने का यह तरीका उन्हें बेहद खास लगा क्योंकि यह एक ऐसी आवश्यकता है, जिसे पैसे से नहीं बल्कि मातृत्व की शक्ति से पूरा किया जा सकता है।