

रेलवे के अधीक्षक लक्ष्मी नारायण का शव नाले में मिला — तीन दिन से लापता थे, मौत ने खड़े किए कई सवाल
कानपुर, 8 जुलाई 2025 | NGV PRAKASH NEWS
कानपुर शहर में एक सनसनीखेज घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ रेलवे विभाग को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि शहरवासियों को भी गहरी चिंता में डाल दिया है। रेलवे के मुख्य कार्यालय अधीक्षक लक्ष्मी नारायण (उम्र 58 वर्ष), जो बीते तीन दिनों से लापता थे, उनका शव मंगलवार को हंसपुरम आवास विकास कॉलोनी के पास एक नाले में पड़ा मिला। शव की पहचान होते ही परिवार में कोहराम मच गया।
पांच जुलाई को घर से निकले थे ड्यूटी के लिए, फिर नहीं लौटे
मूल रूप से हंसपुरम निवासी लक्ष्मी नारायण 5 जुलाई की सुबह अपनी नियमित ड्यूटी के लिए गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन की ओर निकले थे। बेटी दीक्षा गुप्ता के अनुसार, उन्हें 25 वर्ष पूर्व लकवा मार गया था, जिसके कारण उनके शरीर का दाहिना हिस्सा निष्क्रिय था। इसके बावजूद वे नियमित रूप से टिफिन लेकर ड्यूटी पर पैदल ही जाया करते थे।
सुबह निकलने के बाद दोपहर 11:30 बजे जब कार्यालय से फोन आया कि वे आज ड्यूटी पर नहीं पहुंचे, तो परिजनों की चिंता बढ़ गई। बेटी ने तत्काल मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन दोनों नंबर बंद आ रहे थे। परिवार ने आसपास खोजबीन शुरू की, रिश्तेदारों, दोस्तों और रेलवे स्टाफ से संपर्क किया, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। अंततः नौबस्ता थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
मंगलवार को नाले में मिला शव, पास ही था उनका घर
तीन दिन की तलाश के बाद मंगलवार सुबह एक स्थानीय व्यक्ति ने नाले में एक शव देखा और पुलिस को सूचना दी। नौबस्ता थाना पुलिस जब मौके पर पहुंची तो शव की पहचान लक्ष्मी नारायण के रूप में हुई। घटना स्थल उनके घर से कुछ ही दूरी पर स्थित था। शव मिलते ही परिवार में चीख-पुकार मच गई।
नौबस्ता थाना प्रभारी शरद तिलारा ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मौत का कारण रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो सकेगा। साथ ही पुलिस टीम आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाल रही है, ताकि यह पता चल सके कि लक्ष्मी नारायण नाले में कैसे पहुंचे।
रहस्य और सवाल: हादसा, आत्महत्या या साजिश?
यह मामला अब कई सवाल खड़े कर रहा है:
- क्या यह एक सामान्य हादसा था, जिसमें लक्ष्मी नारायण चलते समय असंतुलन के कारण नाले में गिर गए?
- क्या उनके साथ किसी तरह की दुर्घटना या धक्का-मुक्की हुई थी?
- क्या किसी साजिश के तहत उनकी मौत हुई और उसे हादसे का रूप देने की कोशिश की जा रही है?
चूंकि मृतक पक्ष लकवे से पीड़ित थे, इसलिए उनकी शारीरिक असहायता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन यह भी स्पष्ट नहीं है कि इतने दिन तक शव नाले में पड़ा रहा और किसी को भनक नहीं लगी।
रेलवे विभाग में शोक की लहर
लक्ष्मी नारायण की मौत की खबर से गोविंदपुरी रेलवे कार्यालय में शोक की लहर है। कर्मचारी स्तब्ध हैं कि इतने वर्षों से ड्यूटी निभा रहे एक वरिष्ठ अधिकारी इस तरह गुमनाम मौत का शिकार हो गए। विभागीय सूत्रों ने बताया कि वह अपने व्यवहार और अनुशासन के लिए जाने जाते थे।
सामाजिक जिम्मेदारी और पुलिस की चुनौतियां
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि गुमशुदगी को गंभीरता से लेना कितना जरूरी है। यदि शुरुआती समय में ही किसी तकनीकी माध्यम से उनकी लोकेशन ट्रैक की जाती, तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था।
अब यह पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सीसीटीवी जांच के आधार पर सच्चाई सामने लाए, ताकि परिवार को न्याय मिल सके और शहरवासियों की सुरक्षा को लेकर भरोसा कायम रह सके।
✍️ NGV PRAKASH NEWS
