मतदाता सूची संशोधन में लापरवाही और फॉर्म भरने के नाम पर अवैध वसूली..

Gyan Prakash Dubey

मतदाता सूची संशोधन में लापरवाही और अवैध वसूली की शिकायतें, ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलओ की कार्यशैली पर उठे सवाल
देशव्यापी अभियान में अव्यवस्था की तस्वीरें सामने आईं

देशभर में चुनाव आयोग द्वारा चलाया जा रहा मतदाता सूची संशोधन अभियान एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। गांव-गांव और मोहल्लों तक पहुंचकर मतदाता सूची को अद्यतन करने की जिम्मेदारी बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) को सौंपी गई है, लेकिन जमीनी स्तर से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वे व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करती हैं।

सूत्रों के अनुसार कई ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलओ द्वारा मतदाता फॉर्म भरवाने के बदले 100 रुपये तक वसूले जाने की शिकायतें मिल रही हैं। जबकि आयोग ने इन सेवाओं को पूरी तरह निशुल्क रखा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि फॉर्म भरने के नाम पर अवैध वसूली से भोले भाले ग्रामीण परेशान हैं।

समस्या यहीं समाप्त नहीं होती। कई बीएलओ को फॉर्म भरने की बुनियादी प्रक्रिया का भी पर्याप्त ज्ञान नहीं है, जिसके कारण वे खुद फॉर्म भरने के बजाय दूसरों से भरवा रही हैं। अपूर्ण और गलत तरीके से भरे फॉर्म जब लेखपालों तक पहुंचते हैं, तो उनका पूरा समय त्रुटियां सुधारने में लग जाता है। इससे मतदाता सूची संशोधन की वास्तविक प्रक्रिया प्रभावित होती है और समयसीमा पर भी दबाव बढ़ता है।

नियमों के मुताबिक बीएलओ को घर-घर जाकर पात्र मतदाताओं से फॉर्म भरवाना था, लेकिन शिकायतें बताती हैं कि कई क्षेत्रों में बीएलओ खुद न जाकर दो-तीन लोगों के हाथ फॉर्म भिजवा देते हैं। अपूर्ण फॉर्म पुनः इकट्ठा कर जमा कर देने से पूरी प्रक्रिया असंगठित और अव्यवस्थित हो जाती है। इससे ग्रामीणों में यह धारणा भी बन रही है कि संशोधन प्रक्रिया औपचारिकता के रूप में संचालित की जा रही है, न कि गंभीरता से।

लोगों का कहना है कि मतदाता सूची जैसे संवेदनशील और लोकतांत्रिक अधिकार से जुड़े कार्य में इस तरह की लापरवाही न सिर्फ प्रशासनिक कमजोरी को दर्शाती है बल्कि हजारों पात्र मतदाताओं के नाम सूची से छूटने का खतरा भी बढ़ाती है।

वहीं लोगों का मानना है कि मतदाता सूची संशोधन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए व्यापक प्रशिक्षण, निगरानी और पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जड़ें मजबूत रह सकें।

NGV PRAKASH NEWS

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