Gyan Prakash Dubey
बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कमरे में जाने का मतलब यौन संबंधों की सहमति नहीं
गोवा 11 नवंबर 24.
बलात्कार से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने एक अहम निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई महिला किसी पुरुष के साथ होटल के कमरे में जाती है, तो इसका यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि उसने यौन संबंध के लिए सहमति दी है। कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला बंद कर दिया गया था।
जस्टिस भरत पी. देशपांडे की बेंच ने कहा, “यह मानने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं कि आरोपी और पीड़िता ने होटल में एक कमरा बुक किया था। लेकिन इसे यौन संबंधों के लिए सहमति के रूप में नहीं देखा जा सकता। अगर यह भी माना जाए कि पीड़िता कमरे में गई थी, तो इसे किसी भी तरह से यौन संबंधों के लिए सहमति नहीं माना जा सकता।”
मार्च 2020 में आरोपी गुलशेर अहमद ने पीड़िता को विदेश में नौकरी का प्रस्ताव दिया था और मीटिंग के बहाने होटल के कमरे में बुलाया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों ने मिलकर रूम बुक किया था, लेकिन पीड़िता का कहना है कि आरोपी ने कमरे में आते ही उसे धमकाया और फिर बलात्कार किया। पीड़िता का आरोप है कि आरोपी के बाथरूम जाने पर वह वहां से निकल कर पुलिस को सूचित कर पाई।
ट्रायल कोर्ट ने पहले आरोपी को यह कहते हुए रिहा कर दिया था कि चूंकि महिला स्वेच्छा से कमरे में गई थी, तो उसने यौन संबंध के लिए सहमति दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता के कमरे में जाने और यौन संबंधों की सहमति देने के पहलुओं को आपस में मिला दिया, जो कि सही नहीं है।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और आरोपी के खिलाफ मामला जारी रखने का निर्देश दिया है।