
शाहजहांपुर: जेंडर बदलवाने वाले शरद सिंह बने पिता, पत्नी ने दिया बेटे को जन्म
शाहजहांपुर, 03 अप्रैल 2025: यूपी के शाहजहांपुर में दो साल पहले जेंडर बदलवाने वाले शरद सिंह के घर बेटे का जन्म हुआ है। उनकी पत्नी सविता सिंह ने एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए बेटे को जन्म दिया। इस खबर से शरद और उनके परिवार में खुशी की लहर है। शरद सिंह ने कहा, “पिता बनने का एहसास शब्दों से परे है। जो खुशी आज मिली है, वह विषम परिस्थितियों से निकलकर आई है और इसे बयान कर पाना मुश्किल है।”
सरिता से शरद बनने तक का सफर
शरद सिंह का जन्म सरिता सिंह के रूप में हुआ था। वे काकोरी ट्रेन एक्शन के बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह की प्रपौत्री हैं। लेकिन बचपन से ही उनका झुकाव लड़कों की तरह था। 2021-22 में उन्होंने जेंडर बदलवाने की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान लखनऊ में हार्मोन थेरेपी करवाई, जिससे उनकी आवाज भारी हो गई और चेहरे पर दाढ़ी उग आई।
वर्ष 2023 की शुरुआत में उन्होंने मध्य प्रदेश के इंदौर में सर्जरी कराकर अपना जेंडर बदलवा लिया। 27 जून 2023 को तत्कालीन डीएम उमेश प्रताप सिंह ने उन्हें आधिकारिक रूप से शरद सिंह के नाम से जेंडर परिवर्तन का प्रमाण पत्र दिया।
शादी और पिता बनने की अनोखी कहानी
जेंडर बदलने के बाद, 23 नवंबर 2023 को शरद सिंह ने पीलीभीत जिले के देवहा गांव की सविता सिंह से शादी कर ली। शादी के बाद दोनों एक सामान्य दंपति की तरह जीवन व्यतीत कर रहे थे। बुधवार को जब सविता को प्रसव पीड़ा हुई, तो उन्हें शाहजहांपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। शाम को ऑपरेशन से उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया।
शरद ने बताया, “मेरी पत्नी सविता ने 10-15 साल पहले जो सपना देखा था, आज वह पूरा हुआ है। हमारे परिवार में 26 साल बाद पुत्र जन्मा है। हर इंसान चाहता है कि उसे संतान का सुख मिले, लेकिन मैंने जिन परिस्थितियों का सामना किया, उनके बाद पिता बनने का एहसास मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी है।”
शरद सिंह: संघर्ष और सफलता की मिसाल
शरद सिंह फिलहाल विकासखंड ददरौल के प्राथमिक विद्यालय सतवा खुर्द में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी लड़कों की वेशभूषा में बिताई, लेकिन इस कारण समाज से ताने सुनने पड़े और कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, उन्होंने मध्य प्रदेश के इंदौर में सर्जरी कराई, जिला प्रशासन से पहचान पत्र हासिल किया और एक नई जिंदगी शुरू की।
आज, शरद सिंह की यह अनोखी यात्रा सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि समाज में बदलाव की मिसाल है।
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