
इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला: घरेलू हिंसा केस में दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई रद्द
प्रयागराज, 4 फरवरी 2025 –
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा मामले में पति और सास को छोड़कर बाकी पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई रद्द कर दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ठोस साक्ष्यों के अभाव में दूर के रिश्तेदारों को इस तरह के मामलों में फंसाना न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग है। यह फैसला न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने सोनभद्र की कृष्णा देवी और छह अन्य की याचिका पर सुनाया।
मामले के अनुसार, पीड़िता ने पति, सास और विवाहित ननदों के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद सास और पांच अन्य रिश्तेदारों ने सोनभद्र के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित मामले को रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।
केवल साथ रहने वालों पर ही दर्ज हो सकता है मामला
कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा का मुकदमा केवल उन्हीं लोगों के खिलाफ दर्ज हो सकता है जो पीड़िता के साथ एक ही घर में रहते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि पति या घरेलू संबंध में रहने वाले व्यक्ति के परिवार को परेशान करने के लिए ऐसे रिश्तेदारों को भी फंसा दिया जाता है जो पीड़िता के साथ नहीं रहते।
सास और पति पर कार्रवाई जारी रहेगी
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवाहित बहनें और उनके पति, जो अलग रहते हैं, घरेलू हिंसा कानून के तहत आरोपी नहीं माने जा सकते। हालांकि, सास और पति के खिलाफ केस जारी रहेगा क्योंकि उन पर दहेज उत्पीड़न सहित घरेलू हिंसा के विशिष्ट आरोप हैं। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को 60 दिनों के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।
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