
इंडोनेशिया में अस्थायी विवाह: पर्यटन और सामाजिक विवादों के बीच फंसी एक प्रथा
इंडोनेशिया, जो दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है, अपने प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन हाल के वर्षों में यहां एक प्रथा चर्चा में रही है—मुताह निकाह या आनंद विवाह। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, पश्चिमी जावा में स्थित पुंकाक क्षेत्र में आने वाले विदेशी पर्यटकों, विशेष रूप से मध्य पूर्व से आए पुरुषों के साथ अस्थायी विवाह की घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि, इस प्रथा को लेकर इंडोनेशियाई समाज और धार्मिक संगठनों में गंभीर बहस छिड़ी हुई है।
क्या है मुताह निकाह?
मुताह निकाह (अस्थायी विवाह) की परंपरा इस्लाम के कुछ मतों में मौजूद है, खासकर शिया इस्लाम में। यह एक अस्थायी विवाह अनुबंध होता है, जिसकी अवधि कुछ घंटों से लेकर कई महीनों तक हो सकती है। इसमें महिला को एक निश्चित राशि दी जाती है और विवाह समाप्त होने पर संबंध भी स्वतः समाप्त हो जाता है। हालाँकि, कई सुन्नी इस्लामी विद्वानों ने इसे इस्लामिक कानून के विरुद्ध बताया है और इसे अस्वीकार्य माना है।
कैसे चल रहा है यह उद्योग?
रिपोर्टों के अनुसार, कुछ एजेंसियां और दलाल पर्यटकों को स्थानीय महिलाओं से मिलवाते हैं और दोनों पक्षों की सहमति से अस्थायी विवाह करवाते हैं। लॉस एंजिल्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन विवाहों में शामिल महिलाओं में से कई आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से होती हैं। वे इस प्रथा को एक आर्थिक अवसर के रूप में देखती हैं, लेकिन इससे उनके सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
28 वर्षीय इंडोनेशियाई महिला काहाया ने LA टाइम्स को बताया कि उसने अब तक 15 से अधिक बार अस्थायी विवाह किया है। उसने खुलासा किया कि पहली बार उसे 13 साल की उम्र में इसके लिए मजबूर किया गया था। हालांकि, इस प्रथा के कारण कई महिलाओं का शोषण भी हो रहा है, और अब इसे लेकर स्थानीय प्रशासन और धार्मिक संगठनों में विरोध तेज हो रहा है।
विवाद और कानूनी स्थिति
इंडोनेशियाई कानून में इस तरह के विवाहों की कोई आधिकारिक मान्यता नहीं है। इंडोनेशिया में विवाह कानूनों के उल्लंघन पर कड़ी सजा हो सकती है, जिसमें जेल और सामाजिक-धार्मिक दंड शामिल हैं। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रथा की आलोचना की है, क्योंकि इससे महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है और वे शोषण का शिकार बनती हैं।
आगे क्या?
इंडोनेशियाई सरकार और स्थानीय प्रशासन इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए कदम उठा रहे हैं। इस मामले में सख्त कानून और जागरूकता अभियान की जरूरत है ताकि महिलाओं को आर्थिक मजबूरी में ऐसे विवाहों के लिए विवश न होना पड़े।
इस प्रथा के पीछे की सच्चाई और इसके प्रभावों को समझना आवश्यक है। पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के नाम पर अगर किसी समुदाय या महिलाओं का शोषण हो रहा है, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
NGV PRAKASH NEWS

लेख विभिन्न समाचार पत्रों के सूत्रों पर आधारित