आधार वेरिफिकेशन में बड़ा बदलाव:अब नहीं ले सकेंगे आधार की फिजिकल कॉपी..

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आधार वेरिफिकेशन में बड़ा बदलाव: होटल-इवेंट स्थल अब नहीं ले सकेंगे आधार की फिजिकल कॉपी
07 दिसंबर 2025

सरकार आधार से जुड़ा एक महत्वपूर्ण नियम बदलने जा रही है, जिसके तहत होटल, इवेंट आयोजन स्थल और ऐसी जगहों पर अब आधार कार्ड की फिजिकल फोटोकॉपी लेना और उसे अपने पास रखना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। इस बदलाव का उद्देश्य आधार धारकों की निजता की सुरक्षा करना और पेपर कॉपी के दुरुपयोग की आशंकाओं को खत्म करना है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, UIDAI ने इस नए नियम को मंजूरी दे दी है और जल्द ही इसे अधिसूचित किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पेपर-बेस्ड आधार कॉपी रखना न सिर्फ निजता के लिए खतरा है, बल्कि यह आधार कानून का उल्लंघन भी है।

डिजिटल वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा
नए नियम के मुताबिक, अगर कोई संस्था आधार का ऑफलाइन वेरिफिकेशन करना चाहती है तो उसे UIDAI में पंजीकरण कराना होगा और केवल डिजिटल तरीकों—QR कोड स्कैनिंग और सुरक्षित API आधारित वेरिफिकेशन—का ही प्रयोग करना होगा। इससे होटल, इवेंट वेन्यू, रिटेल स्टोर और अन्य स्थानों पर पेपर कॉपी देने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

UIDAI प्रमुख भूवनेश कुमार के अनुसार, यह कदम पेपर-बेस्ड वेरिफिकेशन को हतोत्साहित करेगा और आधार डेटा के संभावित दुरुपयोग को रोकेगा।

UIDAI का नया ऐप—बिना नेटवर्क के भी वेरिफिकेशन संभव
UIDAI एक नया ऐप भी बीटा टेस्टिंग में चला रहा है जो ऐप-टू-ऐप वेरिफिकेशन की सुविधा देगा। इसकी सबसे खास बात यह है कि हर बार केंद्रीय सर्वर से लाइव कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी। इसकी मदद से—

  • एयरपोर्ट
  • रिटेल आउटलेट
  • इवेंट आयोजन स्थल

जैसी जगहों पर कमजोर नेटवर्क होने के बावजूद तेजी से आधार वेरिफिकेशन किया जा सकेगा। ऐप की मदद से उपयोगकर्ता अपना पता भी अपडेट कर सकेंगे और जिन परिवार के सदस्यों के पास मोबाइल नहीं है, उन्हें भी अपने प्रोफाइल से जोड़ सकेंगे।

नई व्यवस्था की विशेषताएं
नए डिजिटल मॉडल के जरिए आधार वेरिफिकेशन में सर्वर डाउन होने जैसी दिक्कतें काफी हद तक खत्म हो जाएंगी। QR आधारित ऑफलाइन वेरिफिकेशन पेपर कॉपी लीकेज की समस्या को पूरी तरह रोकने में मदद करेगा। यह पूरी प्रणाली डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के अनुरूप भी है, जिसके अगले 18 महीनों में पूर्ण रूप से लागू होने की उम्मीद है।

सरकार का मानना है कि यह बदलाव आधार डेटा सुरक्षा और नागरिकों की निजता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।

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