आज से लागू हो गए नए कानून, क्या है खास इसमें देखें

👉 302 अब हो गया 103

जी.पी. दुबे
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आज से लागू हो रहा है नया कानून क्या है इसमें खास

1 जुलाई से भारत में कुछ नए कानून लागू हो रहे हैं और कुछ कुछ में परिवर्तन किया गया है |
आईए जानते हैं इसमें की कुछ खास बातें….

👉देश के किसी भी थाने में करा सकेंगे रिपोर्ट, अब 90 दिन में चार्जशीट, 3 साल के अंदर फैसला, मॉब लिंचिंग की सजा मौत, राजद्रोह कानून खत्म, कुछ में सख्ती तो कुछ में बदलाव…

👉3 नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम कल 1 जुलाई से प्रभावी…

👉इस दिन से दशकों पुराने भारतीय दंड संहिता यानी IPC, आपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी CrPC और भारतीय साक्ष्य अधिनयम बदल गए।
केंद्र सरकार ने अगस्त 2023 में इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में पेश किया था। आजादी के पहले बने ये कानून अब तक चल रहे हैं।

👉 बिल के खास प्रावधान-

👉 नागरिक किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेंगे, चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो।
👉जीरो एफआईआर को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को अपराध पंजीकरण के बाद 15 दिनों के भीतर भेजा जाना अनिवार्य होगा।
👉जिरह अपील सहित पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से की जाएगी।
👉यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।
👉 सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास।
👉नाबालिग से बलात्कार की सजा में मौत की सजा शामिल है।
👉एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी। न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी।
👉आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा।
👉 सुनवाई के समापन के बाद 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा।
👉 फैसला सुनाए जाने के सात दिन के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
👉 तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।
👉 सात साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा।
👉जिला स्तर पर मोबाइल एफएसएल की तैनाती होगी।
👉7 साल या उससे अधिक की सजा वाला कोई भी मामला पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना वापस नहीं लिया जाएगा।
👉संगठित अपराधों के लिए अलग कठोर सजा।
👉 शादी, नौकरी आदि के झूठे बहाने के तहत महिला के बलात्कार को दंडित करने वाले अलग प्रावधान।
👉 चेन / मोबाइल स्नैचिंग और इसी तरह की शरारती गतिविधियों के लिए अलग प्रावधान।
👉बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को 7 साल से बढ़ाकर 10 साल की जेल की अवधि तक।
👉 मृत्युदंड की सजा को कम करके अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, आजीवन कारावास की सजा को कम करके अधिकतम 7 साल के कारावास में बदला जा सकता है और 7 साल की सजा को 3 साल के कारावास में बदला जा सकता है और इससे कम नहीं।
👉 किसी भी अपराध में शामिल होने के लिए जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।

👉भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता, 2023 जगह लेगी। यह आईपीसी के 22 प्रावधानों को निरस्त करेगी। इसके साथ ही नई संहिता में आईपीसी के 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव हुआ है और 9 नई धाराएं पेश की गईं हैं। भारतीय न्याय संहिता, 2023 में कुल 356 धाराएं हैं।
👉यह नया कानून राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त करता है। हालांकि, इसमें राज्य के विरुद्ध अपराध का प्रावधान है। इसकी धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से सबंधित है।

👉नए कानून में मॉब लिचिंग के अपराध को दंडित करने का प्रावधान है और इसके लिए 7 साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है।

👉दूसरा जो कानून बदला है वो आपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी है।
👉सीआरपीसी की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ को प्रस्थापित किया गया है।
👉भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के जरिए सीआरपीसी के 9 प्रावधानों को निरस्त किया जाएगा।
👉 इसके अलावा इस कानून में सीआरपीसी के 107 प्रावधानों में बदलाव और नौ नए प्रावधान पेश किया गया है।
👉 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुल 533 धाराएं हैं।
👉बदलने वाला तीसरा कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 है। इसकी जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 लागू किया गया है |
👉नया अधिनियम मौजूदा साक्ष्य अधिनियम के पांच मौजूदा प्रावधानों को निरस्त करेगा।
👉 बिल में 23 प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव है और एक नया प्रावधान पेश किया गया है। इसमें कुल 170 धाराएं हैं।

👉भारत की संप्रभुता या अखंडता को खतरे में डालने वाले किसी भी व्यक्ति को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
👉मॉब लिंचिंग और नाबालिग से दुष्कर्म में शामिल लोगों को अधिकतम मौत की सजा दी जा सकती है।
👉 हत्या के जुर्म के लिए सजा-ए-मौत या आजीवन कारावास की सजा होगी।
👉दुष्कर्म में शामिल लोगों को कम से कम 10 साल की जेल या आजीवन कारावास की सजा होगी और सामूहिक दुष्कर्म के लिए कम से कम 20 साल की कैद या उस व्यक्ति के शेष जीवन के लिए कारावास की सजा होगी।
👉बिल के अनुसार, यदि किसी महिला की बलात्कार के बाद मृत्यु हो जाती है या इसके कारण महिला लगातार बेहोश रहती है, तो दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास के लिए बढ़ाया जा सकता है।

  • Gyan Prakash Dubey

    I am a News Reporter with Diploma in jornlism and mass communication. Editor in Chief of this news portal NGV PRAKASH NEWS.This Portal Registred from MSME and Department of Information and Broadcasting Government of India. For any query please contact me on 9721071175.

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