
वाराणसी के ‘मौत के होटल’: जहां लोग आखिरी सांस लेने आते हैं
भारत में कई धार्मिक स्थल हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए खास महत्व रखते हैं। इन्हीं में से एक है वाराणसी, जिसे मोक्ष नगरी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि वाराणसी में मृत्यु प्राप्त करने वाले को मोक्ष मिलता है और वे सीधे बैकुंठ जाते हैं। यही वजह है कि यहां लोग जीवन की अंतिम घड़ियों को बिताने के लिए आते हैं।
मरने के लिए करते हैं चेक-इन
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक इन्फ्लुएंसर ने वाराणसी में मौजूद ऐसे ‘मौत के होटलों’ की झलक दिखाई, जहां लोग अपनी आखिरी सांस लेने के लिए ठहरते हैं। ये वो लोग होते हैं, जिन्हें डॉक्टर्स जवाब दे चुके होते हैं या जिन्हें लगता है कि अब उनके जीवन का अंत निकट है। ऐसे में वे वाराणसी में कुछ समय बिताने और यहीं दम तोड़ने के उद्देश्य से इन होटलों में चेक-इन करते हैं।
सुविधाएं और किराया
वाराणसी में स्थित इन खास होटलों में रुकने के लिए ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं होती। एक होटल मालिक ने बताया कि यहां रहने का किराया मात्र 20 रुपए प्रति दिन है। कई लोग दो-दो महीने तक इन होटलों में रहकर अपनी मृत्यु का इंतजार करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे होटलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
श्मशानों की बुझती नहीं आग
वाराणसी के कई घाटों पर शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन मणिकर्णिका घाट सबसे प्रमुख है। ऐसा कहा जाता है कि यहां चिता की आग कभी ठंडी नहीं होती। जो लोग बनारस में अंतिम सांस नहीं ले पाते, उनकी राख को यहां लाकर गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो।
क्या कहते हैं लोग?
ऐसे अनोखे होटलों के बारे में सुनकर लोग हैरान हैं। कोई इसे आस्था से जोड़कर देख रहा है तो कोई इसे एक गहरी सोच के रूप में। वाराणसी की मोक्ष परंपरा को देखते हुए इन होटलों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि यहां मृत्यु को भी एक पवित्र यात्रा का रूप दिया जाता है।
NGV PRAKASH NEWS
