
कोलकाता गैंगरेप केस: आरोपी मनोजीत मिश्रा पर एक और छात्रा ने लगाए गंभीर आरोप, बोली- “मुझे भी किया था टारगेट, धमकाकर चुप कराया गया”
NGV PRAKASH NEWS | कोलकाता | 01 जुलाई 2025
कोलकाता में एक बार फिर गैंगरेप के आरोपी मनोजीत मिश्रा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। अब एक और पीड़ित छात्रा ने इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि कैसे कॉलेज ट्रिप के दौरान मनोजीत ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी। छात्रा के मुताबिक, जब उसने विरोध किया तो आरोपी ने उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी तक दे डाली।
राजनीतिक दबाव में दबी रही आवाज
पीड़िता ने खुलासा किया कि घटना दो साल पुरानी है। कॉलेज ट्रिप के दौरान मनोजीत ने लगातार उसे परेशान किया। विरोध करने पर उसने धमकाया कि वह उसके माता-पिता और बहन को भी मार डालेगा। डरी-सहमी छात्रा शिकायत दर्ज कराने पुलिस के पास जाना चाहती थी, लेकिन मनोजीत के राजनीतिक रसूख और तृणमूल कांग्रेस के विधायक अशोक देव के संरक्षण की वजह से वह चुप रहने पर मजबूर हो गई। पीड़िता का कहना है कि कॉलेज प्रशासन भी उसे ही दोषी ठहराने की कोशिश करता रहा।
15 से ज्यादा छात्राएं हो चुकी हैं शिकार
छात्रा ने बताया कि वह अकेली नहीं है, मनोजीत की गंदी हरकतों का शिकार कम से कम 15 और छात्राएं हो चुकी हैं। लेकिन राजनीतिक दबाव, डर और धमकियों की वजह से कोई भी खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं कर सका। छात्रा के मुताबिक, मनोजीत का कॉलेज में ऐसा खौफ था कि लड़कियां उसे देखकर रास्ता बदल लेती थीं।
पुलिस में पहले की गई शिकायत दबा दी गई
पीड़िता का कहना है कि उसने एक बार पहले भी मनोजीत के खिलाफ थाने में शिकायत दी थी, लेकिन स्थानीय प्रभावशाली नेताओं के दबाव में वह मामला दबा दिया गया। उसने बताया कि आरोपी का नेटवर्क इतना मजबूत था कि पुलिस और कॉलेज दोनों उसके सामने झुक जाते थे।
पहले भी दर्ज हैं गंभीर मामले
गौरतलब है कि मनोजीत मिश्रा पहले ही एक लॉ छात्रा के साथ गैंगरेप के आरोप में गिरफ्तार हो चुका है। इसके अलावा साल 2025 में ही उस पर एचडीएफसी एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड से मारपीट और पुलिस की पीसीआर वैन में तोड़फोड़ करने के मामले भी दर्ज हैं। उस वक्त वह सिगरेट पीते हुए एटीएम में घुसा था, जिसका विरोध करने पर उसने न केवल गार्ड को पीटा बल्कि मौके पर पहुंची पुलिस टीम के एएसआई पर भी हमला कर दिया था।
जांच एजेंसियों पर अब बढ़ा दबाव
लगातार सामने आ रहे नए खुलासों से कोलकाता पुलिस और राज्य प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राजनीतिक संरक्षण, कॉलेज प्रशासन की चुप्पी और पुलिस की निष्क्रियता जैसे पहलुओं पर अब जांच एजेंसियों की सख्ती जरूरी हो गई है।
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