
सीतापुर में पत्रकार की हत्या: अब एसटीएफ करेगी जांच
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की निर्मम हत्या के बाद पुलिस अब तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। मामले में कोई ठोस सफलता न मिलने के कारण अब यह जांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंप दी गई है।
हत्या और पुलिस की कार्रवाई
महोली कस्बे में एक अखबार के लिए काम कर रहे राघवेंद्र वाजपेयी की 8 मार्च को कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने हत्या कर दी थी। पुलिस ने अब तक छह लेखपालों समेत दो दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है, लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में महोली कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार मिश्र, चौकी प्रभारी सतीश चंद्र, कांस्टेबल राजकुमार और नरेंद्र मोहन को निलंबित कर दिया गया है।
सांसद ने उठाया मुद्दा, पत्रकारों में आक्रोश
घटना के बाद से प्रदेशभर के पत्रकारों में भारी आक्रोश है और जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस मामले को विपक्ष ने संसद में भी उठाया है। धौरहरा लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया ने लोकसभा में सरकार से मांग की है कि मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी मिले।
परिजनों ने जताई साजिश की आशंका
राघवेंद्र वाजपेयी के परिजनों के अनुसार, 8 मार्च को दोपहर करीब दो बजे उन्हें किसी का फोन आया, जिसके बाद वह यह कहकर घर से निकले थे कि तहसीलदार ने उन्हें बुलाया है। लेकिन एक घंटे के भीतर ही उनकी हत्या की खबर आ गई। परिजनों का दावा है कि वह जमीन खरीद और धान खरीदी में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार खबरें लिख रहे थे, जिसके कारण उन्हें निशाना बनाया गया।
लेखपालों की संदिग्ध भूमिका
महोली तहसील के चार लेखपालों समेत कई लोगों को हिरासत में लिया गया है, लेकिन अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। स्थानीय पत्रकारों के अनुसार, सीतापुर में जमीन खरीद-बिक्री और अनाज खरीद में भ्रष्टाचार का खेल वर्षों से चल रहा है। ऐसे में राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या को इस घोटाले से जोड़कर देखा जा रहा है।
सीतापुर में पहले भी हुए घोटाले और हत्याएं
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ल बताते हैं कि करीब दो दशक पहले खाद्यान्न घोटाला सामने आया था, जिसकी सीबीआई जांच भी हुई थी। लेकिन भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने यह भी बताया कि उस समय तहसीलदार सुधीर रूंगटा की हत्या कर दी गई थी और सीबीआई अधिकारियों पर भी हमले हुए थे।
यूपी में पत्रकारों पर बढ़ते हमले
उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में फतेहपुर जिले में पत्रकार दिलीप सैनी की भी हत्या कर दी गई थी। कई पत्रकारों को भ्रष्टाचार उजागर करने पर झूठे मुकदमों में फंसाने, धमकाने और प्रताड़ित करने की घटनाएं भी सामने आती रही हैं।
निष्कर्ष
राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या से यह साफ हो गया है कि यूपी में पत्रकारिता करना कितना खतरनाक होता जा रहा है। एसटीएफ की जांच से इस मामले में क्या खुलासे होते हैं, यह देखना होगा। लेकिन जब तक पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक इस तरह की घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी।
NGV PRAKASH NEWS
