

बस्ती में सरकार के ‘सुशासन’ के दावों की खुली पोल, पुलिस पर लगातार गंभीर आरोप
सूत्रों द्वारा प्राप्त खबर के अनुसार दुबौलिया प्रभारी निरीक्षक जितेंद्र सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है..
दुबौलिया मामले में पूछे जाने पर टाल गये सी ओ ह्ररैया संजय सिंह..
जिले के कुछ थानों की लगातार शिकायत सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भी आल्हा अधिकारियों द्वारा नहीं की जा रही कोई कार्यवाही..
बस्ती जिले में एक ओर कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल प्रदेश सरकार के आठ साल की उपलब्धियों का बखान कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर जिले की पुलिस सरकार के सुशासन की धज्जियां उड़ाने में लगी थी। पुलिसिया उत्पीड़न के दो बड़े मामलों ने सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
थाने में ही पिटाई, न्याय की गुहार
पैकोलिया थाना क्षेत्र के माधवपुर गांव में जमीन विवाद के एक मामले में पीड़ित शनि कुमार को पहले विपक्षी पक्ष ने जमकर पीटा, फिर जब पुलिस पहुंची तो उसे ही थाने ले गई। वहां तैनात सिपाही शक्ति सिंह, नवीन और दो अन्य पुलिसकर्मियों ने कथित रूप से उसे फिर से पीटा। न्याय की उम्मीद लेकर शनि कुमार अपने परिवार के साथ एसपी कार्यालय पहुंचा और कार्रवाई की मांग की।
नाबालिग मौत कांड: परिजनों का आक्रोश, सियासत गरमाई
दुबौलिया थाना क्षेत्र में पुलिस पिटाई से नाबालिग की मौत का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि इस पर परिजनों का आक्रोश और बढ़ गया। गुस्साए परिजनों ने पीएम हाउस से डीएम कार्यालय तक पैदल मार्च निकालते हुए ‘पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। परिजन दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन और एफआईआर की मांग पर अड़े हुए हैं।
बीजेपी के पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश शुक्ला और भाजपा जिलाध्यक्ष विवेकानंद मिश्रा ने भी मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की, लेकिन उच्च अधिकारियों से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। दिलचस्प बात यह रही कि खुद पुलिस अधीक्षक अभिनंदन भी सत्ता पक्ष की नहीं सुन रहे, जिससे मामला और पेचीदा हो गया है।
वही मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह भी पीड़ित पक्ष से मिलकर कार्यवाही का शोषण दिए |
मामले का अब राजनीतिकरण भी हो चुका है
भाजपा कार्यकर्ता अपने ही पार्टी के शासन में प्रशासन के सामने लाचार दिख रहे हैं.. और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं |
इस पूरे घटनाक्रम के बीच भाजपा कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पर धरने पर बैठे हैं और जिलाधिकारी रवीश गुप्ता उनके साथ वार्ता कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब पुलिस पर लगातार गंभीर आरोप लग रहे हैं, तो सरकार के ‘सुशासन’ के दावे कितने सटीक हैं?
NGV PRAKASH NEWS
