प्रजातंत्र का पर्व और किसी और के अपराध के लिए पत्रकार को भेज दिया गया जेल

भोपाल: पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया की गिरफ्तारी पर बवाल, पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

भोपाल में पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। स्कूटी को टक्कर मारी बोलेरो ने, एफआईआर किसी और पर दर्ज हुई, लेकिन जेल भेज दिया गया पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया को। इस अजीबो-गरीब घटना ने न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर भी बहस छेड़ दी है।

कैसे हुआ पूरा मामला?

पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया को भोपाल पुलिस ने फोन कर थाने बुलाया। उन्हें लगा कि यह सिर्फ एक औपचारिकता होगी, लेकिन जब वे पहुंचे, तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि एफआईआर में उनका नाम तक दर्ज नहीं था, फिर भी पुलिस ने बिना जांच-पड़ताल उन्हें हिरासत में ले लिया।

जब इस मामले की जानकारी पत्रकारों को हुई, तो उन्होंने थाने के बाहर प्रदर्शन किया और विरोध जताया। लेकिन इस दौरान वे नेता नदारद दिखे, जो हमेशा पत्रकारों के सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे।

प्रशासन ने क्या कदम उठाए?

जब मामला तूल पकड़ने लगा और पत्रकारों का आक्रोश बढ़ा, तो प्रशासन ने थाने के प्रभारी को लाइन अटैच कर दिया। लेकिन इससे असली सवाल खत्म नहीं हुए—

  • क्या सिर्फ थाना प्रभारी की कार्रवाई से न्याय हो जाएगा?
  • जिस पत्रकार को गलत तरीके से जेल भेजा गया, उसे किस आधार पर फंसाया गया?
  • क्या पुलिस को किसी निर्दोष को इस तरह फंसाने की छूट मिल सकती है?

नेताओं की प्रतिक्रिया और सियासत

इस घटना पर राजनीति भी तेज हो गई। कांग्रेस नेता कमलनाथ ने ट्वीट कर निंदा की और सरकार पर हमला बोला। हालांकि, पत्रकारों का सवाल यह है कि क्या सिर्फ ट्वीट करने से न्याय मिल जाएगा?

वहीं, पुलिस प्रशासन का कहना है कि “हम निष्पक्ष जांच करेंगे।” लेकिन सवाल उठता है कि जब किसी को बिना जांच के जेल भेजा जा सकता है, तो फिर अब जांच का क्या औचित्य?

पत्रकारिता पर सवाल और सरकार की चुप्पी

यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि लोकतंत्र में पत्रकारों के लिए कितनी जगह बची है। क्या आज का पत्रकार केवल सरकार की प्रशंसा करने तक सीमित रह गया है? क्या वह सवाल पूछने का अधिकार खो चुका है?

यह सिर्फ कुलदीप सिंगोरिया का मामला नहीं है, बल्कि पूरे पत्रकारिता जगत के लिए एक चेतावनी है। अगर सच लिखना और सवाल पूछना ही अपराध बन गया है, तो फिर ‘प्रजातंत्र का पर्व’ सिर्फ एक दिखावा भर है।

NGV PRAKASH NEWS

👉NDTV भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार अनुराग के फेसबुक वालों से …

  • Gyan Prakash Dubey

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