
बरेली: समाजवादी लैपटॉप बंद कमरे में कैद, आठ वर्षों से दो सिपाही कर रहे रखवाली, खर्च 53.76 लाख पार
बरेली। एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है, वहीं बरेली के राजकीय इंटर कॉलेज के कमरा नंबर 16 में विगत आठ वर्षों से 73 समाजवादी लैपटॉप धूल फांक रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन लैपटॉप की सुरक्षा में दो सिपाही आठ साल से तैनात हैं, जिनकी ड्यूटी को पुलिस रिकॉर्ड में अब “लैपटॉप ड्यूटी” के नाम से भी पहचाना जाने लगा है।
14.60 लाख के लैपटॉप, रखवाली में 53.76 लाख खर्च
2016 में समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान इंटरमीडिएट पास मेधावियों को लैपटॉप बांटने की योजना चलाई गई थी। इसके तहत राजकीय इंटर कॉलेज को नोडल केंद्र बनाया गया था। दिसंबर 2016 तक कुछ लैपटॉप वितरित हुए, लेकिन जनवरी 2017 में चुनाव आचार संहिता लागू होते ही वितरण रुक गया और कमरे को सील कर दिया गया।
इसके बाद 2017 में सरकार बदलने पर इस कमरे और उसमें रखे लैपटॉप की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। दो सिपाही लगातार लैपटॉप ड्यूटी पर तैनात रहे। हर माह दोनों सिपाहियों का औसतन वेतन 28-28 हजार रुपये माना जाए तो सालाना खर्च 6.72 लाख रुपये और आठ वर्षों में 53.76 लाख रुपये का खर्च सरकारी खजाने से हो चुका है।
कमरे का ताला नहीं खुला, सिपाही अब वहीं बना चुके ठिकाना
कॉलेज के प्रधानाचार्य ओपी राय के अनुसार, एक अन्य खाली कमरा सिपाहियों ने अपने इस्तेमाल के लिए ले लिया है। सिपाहियों की ड्यूटी अब बारी-बारी से एक-एक महीने के लिए लगाई जाती है।
क्या लैपटॉप अब भी उपयोगी हैं?
एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसएस बेदी का कहना है कि इतने वर्षों तक बंद रहने के कारण लैपटॉप की बैटरी खराब हो चुकी होगी। यदि बैटरी किसी तरह ठीक भी रही तो Windows-7 आधारित इन लैपटॉप को आज के समय में अपग्रेड किए बिना उपयोग नहीं किया जा सकता।
शासन से निर्देश का इंतजार अब भी जारी
जिला विद्यालय निरीक्षक अजीत कुमार का कहना है कि इस संबंध में शासन से निर्देश आने की प्रतीक्षा है। उन्होंने स्वीकार किया कि 2017 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा शासन को पत्र भेजा गया था, पर अब तक कोई जवाब नहीं आया।
अब सवाल यह है कि
- आखिर इतने वर्षों से बंद पड़े लैपटॉप कब वितरित होंगे?
- क्या ये लैपटॉप अब किसी काम के लायक बचे भी हैं?
- और सरकारी धन का ऐसा दुरुपयोग कब रुकेगा?
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