
हजारों साल पुरानी समाधि मुद्रा में मिला कंकाल, वडनगर की ऐतिहासिक धरती पर अद्भुत खोज
मेहसाणा, 06 अप्रैल 2025 | NGV PRAKASH NEWS
गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में इतिहास उस वक्त फिर से ज़िंदा हो गया जब एक ज़मीन की खुदाई के दौरान एक चौंकाने वाली खोज सामने आई। खुदाई में एक ऐसा कंकाल मिला है, जो न सिर्फ वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के लिए रोमांचक है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह कंकाल योग मुद्रा में बैठा हुआ मिला है और विशेषज्ञों के अनुसार इसकी उम्र लगभग 1000 वर्ष आंकी गई है।
DNA जांच में हुआ बड़ा खुलासा
प्राथमिक जांच और डीएनए विश्लेषण के बाद यह संकेत मिले हैं कि यह कंकाल संभवतः किसी तपस्वी साधु या सन्यासी का है, जिसने अपने जीवनकाल में जीवित समाधि ली होगी। यह भारत में पहली बार है जब किसी संत का कंकाल इस मुद्रा में प्राप्त हुआ है, जिससे यह खोज ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अभूतपूर्व बन जाती है।
म्यूजियम होते हुए भी नहीं मिल पाया उचित स्थान
वडनगर में हाल ही में करोड़ों रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक संग्रहालय का निर्माण किया गया है। इसके बावजूद यह ऐतिहासिक धरोहर फिलहाल एक साधारण टेंट में रखी गई है। यह बात स्थानीय लोगों में नाराजगी और चिंता दोनों पैदा कर रही है। उनका सवाल है कि जब इतना बड़ा संग्रहालय तैयार किया गया है, तो फिर इतनी महत्वपूर्ण खोज को उसमें क्यों नहीं रखा गया?
पुरातत्व विभाग ने दी तकनीकी वजहें
गुजरात पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के नियामक डॉ. पंकज शर्मा ने स्पष्ट किया कि कंकाल की वर्तमान स्थिति बेहद नाज़ुक है। उन्होंने कहा, “यह कंकाल हजार सालों तक ज़मीन में सुरक्षित रहा है, लेकिन खुले वातावरण में इसे सुरक्षित रखने के लिए विशेष तकनीक की आवश्यकता है। यदि विशेषज्ञों की निगरानी में इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो इसके नष्ट होने का खतरा बना रहेगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल कंकाल से जुड़ी मिट्टी को भी नहीं हटाया गया है, ताकि उसकी संरचना से छेड़छाड़ न हो। इसके संरक्षण और भविष्य की कार्रवाई को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से गहन विमर्श चल रहा है।
स्थानीय लोगों में उत्साह, मगर सवाल भी कायम
इस दुर्लभ खोज ने वडनगर के लोगों में उत्साह की लहर दौड़ा दी है। बड़ी संख्या में लोग इस कंकाल को देखने पहुंच रहे हैं। वहीं, प्रशासन और जिम्मेदार विभागों पर सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर इतने ऐतिहासिक महत्व की खोज को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जा रही?
अब यह देखना बाकी है कि क्या सरकार और पुरातत्व विभाग इस खोज को सही संरक्षण और सम्मान दे पाते हैं या यह भी अन्य ऐतिहासिक विरासतों की तरह उपेक्षा का शिकार बन जाएगी।
— NGV PRAKASH NEWS
