
वाराणसी: महिला डिप्टी जेलरों के शोषण में दोषी मिले पूर्व अधीक्षक, कार्रवाई तय
वाराणसी, 4 अप्रैल 2025 – यूपी के वाराणसी में महिला डिप्टी जेलरों के शोषण के मामले में दोषी पाए गए जिला कारागार के पूर्व अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। डिप्टी जेलर रत्न प्रिया ने अपनी शिकायत में उन पर मानसिक प्रताड़ना और अभद्र व्यवहार के गंभीर आरोप लगाए थे।
शिकायत से हिली अधीक्षक की कुर्सी
जुलाई 2023 में डिप्टी जेलर रत्न प्रिया की वाराणसी जिला कारागार में पहली पोस्टिंग हुई थी, जहां तत्कालीन अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह तैनात थे। 8 अगस्त 2023 को रत्न प्रिया ने जेल प्रशासन एवं सुधार सेवा के प्रमुख सचिव को पहली बार शिकायत भेजी, जिसकी प्रति डीजी जेल, डीआईजी वाराणसी जेल, राष्ट्रीय महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग को भी भेजी गई।
चार पन्नों की इस शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि अधीक्षक उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे। उनके बयान के अनुसार, उमेश सिंह ने उनसे कहा था:
- “तुम लड़की हो, आधी डिप्टी जेलर के बराबर हो।”
- “कोई अधीक्षक पूछेगा नहीं, ऐसी इमेज बनाऊंगा तुम्हारी।”
- “कारागार मंत्री बनकर तुम्हारा शोषण करूंगा।”
शिकायत की जांच के दौरान गठित कमेटी ने जेल कर्मचारियों समेत 25 लोगों के बयान लिए, लेकिन अधीक्षक के प्रभाव में सभी ने आरोपों को नकार दिया। मार्च-अप्रैल 2024 में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई, जबकि इस बीच रत्न प्रिया का तबादला मैनपुरी कर दिया गया।
आरटीआई से मिली जांच रिपोर्ट, दोबारा की गई शिकायत
रत्न प्रिया को जब जांच रिपोर्ट नहीं मिली, तो उन्होंने आरटीआई के जरिए इसे हासिल किया और रिपोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए 2 जुलाई 2024 को दोबारा शिकायत दर्ज कराई। इस बार उन्होंने 12 पन्नों में कई प्रमाण पेश किए। दोबारा जांच में तत्कालीन डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया और एक अन्य महिला डिप्टी जेलर ने भी अधीक्षक पर लगे आरोपों की पुष्टि की।
दूसरी शिकायत के बाद तेज हुई कार्रवाई
रत्न प्रिया की दूसरी शिकायत काफी समय तक लंबित रही, लेकिन 15 मार्च 2025 को डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र और एक वीडियो बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने भी अधीक्षक पर उत्पीड़न के आरोप लगाए।
16 मार्च को मामले की जांच नैनी जेल अधीक्षक अमिता दुबे को सौंपी गई और मीना कन्नौजिया को नैनी जेल से संबद्ध कर दिया गया। 18 मार्च को डीजी जेल ने उमेश सिंह को सोनभद्र जिला जेल से संबद्ध कर दिया। जांच में दोनों शिकायतों को सही पाया गया और अधीक्षक दोषी ठहराए गए।
कुंडली बनाने वाले अपना समय नहीं देख सके
जेल अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह उच्चाधिकारियों और अपने करीबियों की कुंडली बनाने के लिए जाने जाते थे। लेकिन विभाग में अब चर्चा है कि ‘आचार्य’ की उपाधि रखने वाले यह अधीक्षक अपने ही खराब समय को नहीं भांप सके और अब उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है।
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