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गंगा एक्सप्रेसवे: यूपी का 594 किमी लंबा सबसे तेज रफ्तार वाला हाईवे अगले महीने खुलने को तैयार, 12 जिलों को जोड़ेगा, दिल्ली–प्रयागराज सफर घटकर 6 घंटे
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के सबसे लंबे और सबसे हाईस्पीड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे गंगा एक्सप्रेसवे का इंतजार अब लगभग खत्म हो गया है। 594 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे अगले महीने ट्रायल और अंतिम निरीक्षण के बाद यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। राज्य सरकार ने अंतिम स्ट्रक्चर के पूरा होते ही 15 जनवरी 2026 तक इसे आम जनता के लिए उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू कर दी है।
यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ यूपी की सड़क संरचना में एक बड़ा बदलाव साबित होगा, बल्कि पश्चिमी, मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बीच यात्रा समय आधे से भी कम कर देगा।
12 जिलों को जोड़ेगा 594 किमी लंबा सुपर-फास्ट रूट
गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज तक जाता है और इस दौरान कुल 12 जिलों से गुजरता है—
मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज।
इन जिलों के करोड़ों लोगों के लिए यह एक्सप्रेसवे तेज रफ्तार कनेक्टिविटी का नया विकल्प बनेगा।
दिल्ली–प्रयागराज के बीच का सफर जो अभी 10–12 घंटे लेता है, एक्सप्रेसवे खुलने के बाद 6–7 घंटे में पूरा हो सकेगा।
यूपी का सबसे तेज एक्सप्रेसवे – 120 किमी प्रति घंटा स्पीड
गंगा एक्सप्रेसवे पर अधिकतम 120 किमी/घंटा की रफ्तार तय की गई है। यह उत्तर प्रदेश का सबसे तेज एक्सप्रेसवे होगा।
- रूट पर कुल 1498 बड़े स्ट्रक्चर में से 1497 पूरी तरह तैयार
- केवल एक अंतिम संरचना का कार्य चल रहा है
- पूरा मार्ग लगभग उपयोग के लिए तैयार
सूत्रों के मुताबिक मेरठ–बदायूं समेत लंबे हिस्सों पर कारें पहले से ही ट्रायल रन में 120 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ चुकी हैं।
भारतीय वायुसेना के लिए हवाई पट्टी भी तैयार
गंगा एक्सप्रेसवे केवल आम यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
- शाहजहांपुर में 3.5 किमी लंबी एयर स्ट्रिप बनाई गई है,
- जरूरत पड़ने पर फाइटर जेट और सैन्य विमान लैंड–टेकऑफ कर सकेंगे।
इससे यूपी में सुरक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत बढ़ावा मिलेगा।
अगले चरण में 1047 किमी तक होगा विस्तार
पहला फेज 594 किमी लंबा है, लेकिन भविष्य में इसके विस्तार की योजना इसे देश के सबसे लंबे कॉरिडोरों में बदल देगी।
दूसरे फेज का प्रस्ताव
- मेरठ से हरिद्वार (110–150 किमी)
- प्रयागराज से बलिया (लगभग 350 किमी)
- मिर्जापुर
- भदोही
- वाराणसी
- गाजीपुर होते हुए बलिया व बिहार सीमा तक
इस विस्तार के बाद एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 1047 किमी हो जाएगी—जो भारत में एक अनोखा रिकॉर्ड होगा।
लखनऊ–आगरा और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से कनेक्टिविटी
गंगा एक्सप्रेसवे दो बड़े हाईवे सिस्टम से सीधे जुड़ेगा—
- लखनऊ–आगरा एक्सप्रेसवे
- बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
तीन एक्सप्रेसवे के एक साथ जुड़ने से यूपी की सड़क कनेक्टिविटी देश के किसी भी राज्य से बेहतर हो जाएगी और औद्योगिक–व्यापारिक गतिविधियों को बड़ा लाभ मिलेगा।
निर्माण लागत: 37,350 करोड़ रुपये
पहले चरण के निर्माण पर कुल 37,350 करोड़ रुपये खर्च हुए।
- भूमि अधिग्रहण में 9500 करोड़ रुपये दिए गए
- 28 फ्लाईओवर
- 381 अंडरपास
- 126 छोटे पुल
- कई बड़े ROB भी तैयार किए गए
भूमि अधिग्रहण और निर्माण दोनों में यह यूपी की सबसे महँगी परियोजनाओं में से एक है।
5 राज्यों तक कनेक्टिविटी की संभावना
विशेषज्ञों के अनुसार गंगा एक्सप्रेसवे के पूर्ण विस्तार के बाद यह दिल्ली–हरियाणा–उत्तराखंड–उत्तर प्रदेश–बिहार के बीच एक हाईस्पीड गलियारे के रूप में विकसित हो सकता है।
व्यापार, पर्यटन, धार्मिक मार्ग और लॉजिस्टिक्स में इसका बड़ा योगदान होगा।
कब खुलेगा गंगा एक्सप्रेसवे?
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक,
- अंतिम संरचना 15 दिसंबर तक पूर्ण
- 20–25 दिसंबर के बीच ट्रायल रन
- संभावित उद्घाटन 10–15 जनवरी 2026
अगर मौसम और परीक्षण में कोई रुकावट नहीं आई तो 15 जनवरी तक इसे आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
गंगा एक्सप्रेसवे खुलने के बाद उत्तर प्रदेश की सड़क रफ्तार, कनेक्टिविटी और आर्थिक गतिविधियों में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए गेम–चेंजर साबित होगा।
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