बहुचर्चित दुबौलिया पुलिस की बर्बरता ; किशोर की मृत्यु पर परिजनों नें कहा उन्हें न्याय चाहिए

जी.पी. दुबे
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NGV PRAKASH NEWS

पुलिस की पिटाई से हुई नाबालिक किशोर की मौत

👉 परिजनों ने जिलाधिकारी बस्ती रवीश गुप्ता, पुलिस अधीक्षक अभिनंदन से मिलकर मामले में न्याय और थाना अध्यक्ष दुबौलिया जितेंद्र सिंह के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है…

बस्ती 26 मार्च 25.
दुबौलिया थाना क्षेत्र के उभाई गांव में 24 मार्च 25 को दो लड़कों में मामूली कहा सुनी के बाद एक लड़के आदर्श उपाध्याय उम्र 16 वर्ष पुत्र ओमप्रकाश उपाध्याय को पुलिस द्वारा बगैर परिजनों को सूचित किया थाने पर ले जाया गया और पूरी रात उसे रखा गया | दोपहर में उसकी मां को बुलाकर उसे उसके साथ घर भेज दिया गया |

👉 यहां यहां बताते चलें कि ग्रामीणो के अनुसार दोनों के बीच विवाद के बाद डायल 112 पहुंचकर दोनों में सुलह समझौता कर दिया था |


परिजनों के मुताबिक घर पहुंच कर उसने खाना खाया और उसके बाद उसे तीन बार खून की उल्टी हुई | परिजनों द्वारा पहले उल्टी की दवा मंगा कर खिलाया गया जब उसे आराम नहीं हुआ |
उसके बाद परिजनों द्वारा लगभग शाम 6:00 एंबुलेंस द्वारा उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ह्ररैया ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों द्वारा उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया |
रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई और परिजन उसे वापस लेकर ह्ररैया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आ गए | जहां पर डॉक्टरों ने उसे देखकर मृत घोषित कर दिया |
मामले में स्वास्थ्य केंद्र ह्ररैया पर क्षेत्राधिकार ह्ररैया संजय सिंह, सदर सतेंद्र भूषण त्रिपाठी, थाना प्रभारी दुबौलिया जितेंद्र सिंह तथा थाना कोतवाली ह्ररैया की पुलिस पहुंची और रात लगभग 11:00 तक पुलिस द्वारा परिजनों का मान मन्नवल होता रहा |
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने खुद कहा की आदर्श को इतना मार दिया गया है कि यह आगे से कुछ नहीं कर पाएगा |

मृतक आदर्श की मां ने बताया कि पुलिस द्वारा उससे ₹5000 की डिमांड की गई जिससे वह पूरा नहीं कर पाई और उसने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है |

टूटे-फूटे मकान में रहने वाले और ई रिक्शा चला कर किसी तरह परिवार का भरण पोषण करने वाले ओम प्रकाश उपाध्याय के दो पुत्र आदर्श और अमरजीत है जिसमें से आदर्श 16 साल का तथा अमरजीत उससे छोटा है |
ग्रामीणों के अनुसार दुबौलिया थाने के तीन चार ऐसे सिपाही हैं जो उभाई ग्राम को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझ लिए हैं | जब उनका मन करता है तब वह जाकर किसी को पकड़ कर थाने ले जाते हैं और उनसे वसूली करने के बाद उसे छोड़ दिया जाता है|

यहां बताते चले की उभाई गांव काफी बड़ा है और वहां की आबादी लगभग 500 घरों की होगी | जो दुबौलिया थाने के सिपाहियों के लिए काफी मुफीद जान पड़ता है|

यही नहीं ग्रामीणों के अनुसार इस गांव के हलका में ड्यूटी लगवाने के लिए सिपाहियों में होड़ मची रहती है|

मामले में मृतक आदर्श के परिजनों तथा ग्रामीणों का कहना कि उन्हें न्याय चाहिए | जिस सिपाहियों द्वारा आदर्श को मारा गया है उनके ऊपर मुकदमा पंजीकृत कर उनको सजा दिलाया जाए तथा घर के बड़े लड़के के खोने के घरवालों को जो मानसिक, आर्थिक छत पहुंची है उसकी भरपाई की जाए |
बहरहाल लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है |
मौत का असली कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा |

👉 आगे भी खबर को अपडेट किया जाता रहेगा इसलिए बने रहिए NGV PRAKASH NEWS पर

पुलिस की बर्बरता का शिकार हुआ 16 वर्षीय नाबालिग, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप

बस्ती, 26 मार्च 2025 |

दुबौलिया थाना क्षेत्र के उभाई गांव में पुलिस की बर्बरता का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां 16 वर्षीय आदर्श उपाध्याय की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि मामूली विवाद के बाद पुलिस ने उसे थाने ले जाकर बेरहमी से पीटा और पैसे की मांग की।

कैसे शुरू हुआ मामला?

24 मार्च को आदर्श उपाध्याय, पुत्र ओमप्रकाश उपाध्याय, का एक अन्य लड़के से मामूली कहासुनी हुई थी। आरोप है कि बिना किसी सूचना के पुलिस ने उसे पकड़कर थाने ले गई और पूरी रात हिरासत में रखा। अगले दिन दोपहर में उसकी मां को बुलाकर उसे घर भेज दिया गया।

घर लौटने के बाद आदर्श ने खाना खाया, लेकिन थोड़ी ही देर में उसे तीन बार खून की उल्टी हुई। घबराए परिजनों ने पहले घर पर ही इलाज की कोशिश की, लेकिन जब कोई सुधार नहीं हुआ तो शाम 6 बजे एंबुलेंस से उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हर्रैया ले जाया गया। वहां से डॉक्टरों ने हालत गंभीर देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

परिजन उसे दोबारा हर्रैया अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा और देर रात तक परिजनों को शांत कराने की कोशिशें चलती रहीं।

परिजनों के गंभीर आरोप

मृतक आदर्श की मां ने पुलिस पर संगीन आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने हिरासत में रहते हुए उनके बेटे को बेरहमी से पीटा और 5000 रुपये की मांग की। जब वह पैसे नहीं दे पाईं, तो उनके बेटे को जानबूझकर प्रताड़ित किया गया।

परिजनों का यह भी कहना है कि पुलिस खुद यह कह रही थी कि “आदर्श को इतना मार दिया गया है कि अब यह आगे कुछ नहीं कर पाएगा।”

ग्रामीणों का गुस्सा और पुलिस की करतूतें

ग्रामीणों का कहना है कि दुबौलिया थाने के कुछ पुलिसकर्मी उभाई गांव को “सोने का अंडा देने वाली मुर्गी” समझते हैं। आए दिन वे गांव में आकर लोगों को पकड़ते हैं, थाने ले जाते हैं और पैसे वसूलने के बाद छोड़ देते हैं।

उभाई गांव की आबादी लगभग 500 घरों की है, और ग्रामीणों के मुताबिक यहां के हलके में ड्यूटी लगवाने के लिए सिपाहियों में होड़ मची रहती है। पुलिस का यह रवैया लंबे समय से जारी है, लेकिन कोई भी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता, क्योंकि डर है कि पुलिस बदले की कार्रवाई कर सकती है।

प्रभारी निरीक्षक का बयान और पुलिस की सफाई

जब प्रभारी निरीक्षक दुबौलिया जितेंद्र सिंह से इस मामले पर दूरभाष पर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि आदर्श को मारपीट के मामले में थाने लाया गया था और दोपहर में उसकी मां के साथ घर भेज दिया गया। शाम को जब तबीयत खराब हुई, तो परिजन उसे अस्पताल ले गए।

उन्होंने पुलिस द्वारा मारपीट की बात को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई चोट के निशान मिलते हैं, तो परिजन जो चाहें कार्रवाई कर सकते हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

फिलहाल पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मौत की असली वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी। लेकिन परिजन और ग्रामीण इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

न्याय की मांग और प्रशासन पर उठते सवाल

आदर्श उपाध्याय के पिता ओमप्रकाश उपाध्याय एक गरीब ई-रिक्शा चालक हैं, जिनका परिवार बेहद कठिनाइयों में जीवन बिता रहा है। आदर्श की मौत ने उनके परिवार को न केवल मानसिक बल्कि आर्थिक रूप से भी तोड़ दिया है।

ग्रामीणों और परिजनों ने मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए।

इस घटना ने एक बार फिर पुलिसिया अत्याचार और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। क्या प्रशासन इस मामले में दोषियों को सजा देगा, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह दबा दिया जाएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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  • Gyan Prakash Dubey

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