
जी.पी. दुबे
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NGV PRAKASH NEWS
अखंड भारत की परिकल्पना और सच्चाई
2014 में जब से भाजपा सरकार केंद्र में बनी है तब से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल द्वारा अखंड भारत की परिकल्पना की जा रही है |
उनके परिकल्पना में भारत-पाकिस्तान,बांग्लादेश, नेपाल अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार तथा मालदीव सम्मिलित है |
परंतु आज के परिवेश में क्या अखंड भारत इनके परिकल्पना के अनुसार संभव है या महज यह कोरी कल्पना है |
आईये इतिहास पर नजर डालते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि कब अखंड राज्य था और उसकी सीमाएं कहां-कहां तक थी |
👉 आजादी के पहले भारत कई छोटे-छोटे गणराज्य में बात हुआ था और उन राज्यों की सत्ता वहां के राजाओं एवं बादशाहों के हाथों में थी |
जो अपनी सीमाओं को बढ़ाने के लिए लगातार एक दूसरे से युद्ध किया करते थे|
अंग्रेजों के आने के बाद जब अंग्रेज यहां के छोटे-छोटे रियासतों को हराकर उसे पर कब्जा करने लगे और अपने शासन सत्ता के अधीन करने लगे तो उसे डर कर छोटे-छोटे राजाओं ने अपने राज्य को बचाने के लिए एक दूसरे राजा से संधि कर अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए समझौता किया |
मतलब भारत अखंड राज्य था ही नहीं यह छोटे-छोटे गणराज्य में अलग-अलग नाम से बटा हुआ था |
👉 अखंड भारत की परिकल्पना सर्वप्रथम 1937 में भारत कार्यकर्ता और हिंदू महासभा के नेता विनायक दामोदर सावरकर ने अहमदाबाद में हिंदू महासभा के 19 वें अधिवेशन में प्रतिपादित की जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा सिंध से असम तक था |
👉 अखंड भारत उस समय भारतीय उपमहाद्वीप को कहा जाता था जो अनेक गणराज्य में बटा हुआ था |
चंद्रगुप्त मौर्य ने अचार्य चाणक्य के दिशा निर्देशन में 322 ईसा पूर्व नंद वंश को हराकर उस पर कब्जा किया तथा जो अनेक गणराज्य थे उनको एकजुट कर अखंड भारत का निर्माण कर उस पर राज किया |
👉 सही मायनों में मौर्य वंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य द्वारा अखंड भारत पर राज किया गया था जिसमें उनकी सीमा उत्तर में हिंदू कुश से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण मैसूर तक पूर्व में बांग्लादेश से तथा पश्चिम में अफगानिस्तान व ईरान तक फैली हुई थी |
👉 भारतीय महाद्वीप का 2500 सालों में 24 विभाजन हो चुका है जिसमें अंतिम बार 1947 में भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था |
👉 अखंड भारत का परिकल्पना करने वालों के अनुसार अखंड भारत में नौ देश भारत-पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान,नेपाल,म्यांमार श्रीलंका और मालदीव शामिल हो सकते हैं |
👉सम्राट अशोक के बाद आए हुए विदेशी आक्रमणकरियों द्वारा भारत के भूभाग पर कब्जा किया जाने लगा और उसे अलग-अलग देशों से आए हुए आक्रमणकारी अपने कब्जे के अनुसार इसका बटवारा करते गए और जब वह इसे छोड़कर जाने लगे तू अखंड भारत छोटे-छोटे गणराज्य में बटता चला गया |
👉 अब जब आज पूरे विश्व का परिवेश बदल चुका है, सबकी अपनी अपनी सीमाएं, सेनायें, आर्थिक, सामाजिक, संस्कृत दृष्टिकोण अलग-अलग है ऐसे में अखंड भारत की परिकल्पना महज एक कोरी कल्पना साबित होगी |
👉 आप यदि हम यह मान ले भी की अखंड भारत की परिकल्पना के अनुसार सभी देश आपस में मिलकर एक अखंड भारत का निर्माण करेंगे लेकिन आप सबका रहन-सहन, रीति रिवाज, खान पान, पहनावा, धार्मिक रीति रिवाज सब अलग-अलग है तो वह कितने दिन तक एकजुट रह पाएंगे | अंत में फिर वही पुरानी स्थिति आ जाएगी जहां पर सब अपना अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए एक दूसरे के साथ लड़ना चालू करेंगे और वह अखंड भारत संग टुकड़ों में बटा भारत हो जाएगा|
👉 सब मिलकर मेरे हिसाब से इसका सारांश यह है कि जब अभी धर्म,जाति, ऊंच नीच के आधार पर परस्पर एक दूसरे का विरोध कर रहे हैं और जब अखंड भारत के हिसाब से अनेक रीति रिवाज धर्म संप्रदाय एक साथ आएंगे तो सबका अपना-अपना अलग मत होगा और वह एक दूसरे से कभी मिलकर नहीं रह पाएंगे | जो आगे चलकर गृह युद्ध में बदल सकता है और देश के अनेक टुकड़े हो सकते हैं |
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परिकल्पना सांभर आशुतोष त्रिपाठी