
एम्बुलेंस में न मरीज, न मसीहा… निकली ‘ड्रग्स की दुकान’! नेपाल बॉर्डर पर धरा गया नशे का जुगाड़ू जखीरा
अररिया/ललितपुर:
अब तक आपने एम्बुलेंस का नाम सुनते ही आंखों के सामने एक बीमार मरीज, पसीने से तर डॉक्टर और सायरन की आवाज में रास्ता छोड़ती भीड़ की तस्वीर बनाई होगी। लेकिन बिहार से नेपाल जा रही एक एम्बुलेंस की कहानी ने इस पवित्र छवि पर ऐसा ‘ट्रामाडोल’ छिड़का कि नेपाल पुलिस भी चकरा गई।
दरअसल, नेपाल बॉर्डर के पास बागमती गांवपालिका के छपेली भट्टेडांडा में नेपाली पुलिस ने जब भारतीय नंबर प्लेट वाली एक एम्बुलेंस (BR-05-PA/0421) को जांच के लिए रोका, तो अंदर का नज़ारा देखकर उनके होश उड़ गए। न मरीज तड़प रहा था, न डॉक्टर भाग रहे थे… बल्कि आराम से ‘नशे का राजा’ ट्रामाडोल के 93,800 कैप्सूल सजे पड़े थे। और मरीज? तो जनाब, वो एक 18 साल की लड़की थी जिसे ‘बीमार बनाकर’ एम्बुलेंस में लिटाया गया था। साथ में 8 साल का एक बच्चा भी था, ताकि लगे कि पूरा ‘परिवार पीड़ा में है’। लेकिन पीड़ा नहीं, ये पूरा परिवार ही ‘ड्रग डिलीवरी एजेंसी’ बन चुका था।
ड्रग्स के नाम पर लीला शुरू…
ट्रामाडोल दवा का इस्तेमाल असल में गंभीर दर्द में किया जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे नशे के लिए और कुछ तो ‘लंबी रातें’ बिताने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। इसे कई देशों में बैन किया गया है, लेकिन यहां तो इसे एम्बुलेंस में लादकर ‘इमरजेंसी सप्लाई’ की तरह बॉर्डर पार किया जा रहा था।
गिरफ्तारियों का ड्रामा भी फिल्मी
नेपाल पुलिस ने मौके से छह भारतीयों और तीन नेपाली नागरिकों को धर दबोचा। इन भारतीयों में समीर आलम (20), मुन्ना अंसारी (33), नूरजहां खातून (45), किशोरी ‘मरीज’, एक 8 साल का बच्चा और ड्राइवर मोहम्मद उमर शामिल हैं। ड्राइवर ने पूछताछ में बताया कि ये धंधा कोई छोटा-मोटा खेल नहीं, बल्कि ‘सिंडिकेट लेवल’ का जुगाड़ है। यानी डील नेपाल तक डिलीवर करनी थी और इसके लिए ‘एम्बुलेंस’ को सबसे सेफ तरीका समझा गया।
ऑक्सीजन भी था… लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए!
गाड़ी में ऑक्सीजन सिलेंडर और लाइफ सपोर्ट इक्विपमेंट भी लगाए गए थे, ताकि नेपाल पुलिस को लगे कि मामला मेडिकल इमरजेंसी का है। लेकिन असली इमरजेंसी तो नशे के सौदागरों की थी, जो इसे काठमांडू तक पहुंचाना चाहते थे।
पुलिस ने डाली पूरी स्क्रिप्ट पर पानी
ललितपुर नेपाल पुलिस के एसएसपी श्याम कृष्ण अधिकारी ने बताया कि जिस सिंडिकेट में यह खेप पहुंचनी थी, उसका मुख्य खिलाड़ी फरार है। लेकिन ड्राइवर और अन्य आरोपियों के मोबाइल खंगाले जा रहे हैं। भट्टेडांडा पुलिस चौकी के सहायक निरीक्षक श्रीराम सिंह और उनकी टीम ने इस ड्रग्स लीला का पर्दाफाश किया।
अब देखना यह है कि ‘मरीज बनकर’ नशे का कारोबार करने वाले ये कलाकार कोर्ट में कितनी एक्टिंग करते हैं, और पुलिस उन्हें ‘अस्पताल’ के बजाय सीधा जेल पहुंचाती है या नहीं।
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