
ज्ञान प्रकाश दुबे की विशेष रिपोर्ट
सड़कें बन रही हैं मौत का रास्ता: बढ़ती दुर्घटनाएं और हमारी जिम्मेदारी
भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। वर्ष 2023 में देश में 4.80 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.72 लाख से अधिक लोगों की जान गई। यह आंकड़ा 2022 की तुलना में 2.6% अधिक है।
उत्तर प्रदेश की स्थिति
उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2024 में प्रदेश में कुल 46,052 सड़क हादसे दर्ज किए गए, जो 2023 के मुकाबले 3.4% अधिक हैं। इन दुर्घटनाओं में 24,118 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि 34,665 लोग घायल हुए।
विशेष रूप से लखीमपुर खीरी, ललितपुर, शामली, श्रावस्ती और महोबा जिलों में हादसों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, लखीमपुर खीरी में 2023 में 446 दुर्घटनाएं हुई थीं, जो 2024 में बढ़कर 774 हो गईं।
मुख्य कारण
तेज गति से वाहन चलाना: 2023 में तेज गति के कारण 8,726 लोगों की मृत्यु हुई।
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग न करना: हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग न करने के कारण क्रमशः 54,000 और 16,000 मौतें हुईं।
वाहनों की ओवरलोडिंग: 12,000 मौतें ओवरलोडिंग के कारण हुईं।
बिना वैध लाइसेंस के ड्राइविंग: लगभग 34,000 दुर्घटनाएं बिना वैध लाइसेंस वाले चालकों के कारण हुईं।
2023 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 10,000 नाबालिगों और 35,000 पैदल यात्रियों की मृत्यु हुई। पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहन चालकों की मृत्यु दर क्रमशः 44.8% और 20% है।
अब समय है जागरूक होने का
सड़क सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है; यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। आइए, हम सभी मिलकर निम्नलिखित कदम उठाएं:
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें: हेलमेट और सीट बेल्ट का हमेशा उपयोग करें।
नियमों का पालन करें: सड़क सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन करें।
जागरूकता फैलाएं: अपने परिवार और दोस्तों को सड़क सुरक्षा के महत्व के बारे में बताएं।
शिक्षा और प्रशिक्षण: युवाओं को सड़क सुरक्षा के बारे में शिक्षित करें और उन्हें उचित प्रशिक्षण दें।
सड़कें बन रही हैं मौत का रास्ता: बढ़ती दुर्घटनाएं और हमारी जिम्मेदारी
भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। वर्ष 2023 में देश में 4.80 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.72 लाख से अधिक लोगों की जान गई। यह आंकड़ा 2022 की तुलना में 2.6% अधिक है।
स्थानीय चिंता: बस्ती मंडल बना हादसों का हॉटस्पॉट
जहां पूरे देश और उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ ऊपर जा रहा है, वहीं बस्ती मंडल जैसे क्षेत्र हालात को और चिंताजनक बना रहे हैं।
यहां प्रतिदिन 2 से 3 सड़क दुर्घटनाएं होना आम बात बन चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि:
सड़क पर ट्रैफिक कंट्रोल के कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं हैं।
ओवरस्पीडिंग और नियमों का उल्लंघन आम हो गया है।
सड़क की हालत खराब है, जिससे बाइक और छोटे वाहन अक्सर फिसल जाते हैं।
स्कूली बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए यह इलाका बेहद खतरनाक बन गया है।
स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे लोगों में नाराज़गी और भय दोनों हैं।
मुख्य कारण
तेज गति से वाहन चलाना
हेलमेट व सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करना
ओवरलोडिंग
बिना वैध लाइसेंस के वाहन चलाना
खराब सड़कों की स्थिति और ट्रैफिक व्यवस्था का अभाव
सबसे अधिक प्रभावित: युवा, पैदल यात्री और दोपहिया चालक
2023 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 10,000 नाबालिगों और 35,000 पैदल यात्रियों की मृत्यु हुई। इन दुर्घटनाओं में सबसे ज़्यादा हानि दोपहिया चालकों और पैदल यात्रियों की होती है, जो बस्ती मंडल जैसे इलाकों में बिना ज़ेब्रा क्रॉसिंग या फुटपाथ के चलने को मजबूर हैं।
अब समय है जागरूक होने का
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें
सड़क नियमों का पालन करें
बच्चों और युवाओं को सड़क सुरक्षा का प्रशिक्षण दें
प्रशासन को पत्र, शिकायत और ज्ञापन देकर ट्रैफिक सुधार की मांग करें
हर छोटी सावधानी एक बड़ी जान बचा सकती है।
NGV PRAKASH NEWS सभी नागरिकों और प्रशासन से अपील करता है कि बस्ती मंडल जैसे संवेदनशील इलाकों में तत्काल सड़क सुरक्षा सुधार के कदम उठाए जाएं।
